पटना – कैशलेन्द्र पाण्डेय, पटना, १८ नवम्बर। गुलों में रंगो–बू भी है उनसे/ उन्हों पे जानो–दिल लुटाता हूँ — , “ भूख लगे तो मिट्टी–सोना एक बराबर लगता है —- ज... Read more
पटना से कौशलेन्द्र पराशर, पटना, ३० अक्टूबर। “सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसबा से मोरे प्राण बसे हिम खोह रे बटोहिया” जैसी प्राण–प्रवाही और मर्म–स्पर्शी रचना के अमर रचयि... Read more
पटना से कौशलेन्द्र, पटना,२८ अक्टूबर। बहुभाषाविद विद्वान और सरस्वती के वरद–पुत्र आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव एक साहित्यिक साधु–पुरुष थे। उन्होंने एक संत की भाँति साहित्य की आध्यात्मिक... Read more
पटना,१३ अक्टूबर। प्रबुद्ध हिन्दू समाज का उद्देश्य छुआछूत समेत समाज की सभी कुरीतियों और विद्वेष को मिटाकर, मनुष्यता मूलक विश्व मानव समुदाय का निर्माण है। भारतीय वैदिक संस्कृति का यही स्वर है।... Read more
पटना, ३१ जुलाई। सुपरिचित कथाकार चितरंजन लाल भारती की कहानियाँ यथार्थ पर कल्पना की चासनी जैसी मीठी, किंतु मर्म-स्पर्शी हैं। इनकी अनेक कहानियों में अनेक स्थलों पर ‘कथा-सम्राट मुंशी प्रेम... Read more