पटना, १५ जनवरी। एक महान नाटककार ही नहीं, काव्य-कल्पनाओं से समृद्ध एक महान दार्शनिक चिंतक भी थे डा चतुर्भुज । उनका जीवन और नाटक पर्यायवाची शब्द की तरह अभिन्न थे। बालपन से मृत्य-पर्यन्त वे इसस... Read more
पटना, १४ जनवरी। ‘एक नदी मेरा जीवन’ का कवि पं विशुद्धानंद का संपूर्ण जीवन पर्वत की घाटियों से होकर अनेक वन-प्रांतों और पत्थरीली भूमि में बहती नदी सा ही था। उनके दर्द भरे गीतों में... Read more
पटना, ११ जनवरी। देश और समाज के लिए कार्य करने वाले लोग सदा जीवित रहते हैं। मनुष्य अपनी कीर्ति में जीवित रहता है। ऐसे ही लोग याद किए जाते हैं और ऐसे ही लोगों और संस्थाओं से समाज का निर्माण हो... Read more
पटना, १० जनवरी। भारत की आत्मा की भाषा है हिन्दी। इसका ध्वज एक दिन विश्व भर में लहराएगा । यह शीघ्र ही भारत की ‘राष्ट्रभाषा’ भी होगी। यह एक अत्यंत वैज्ञानिक और सरल भाषा है। पूरी दु... Read more
पटना ब्यूरो , ८ दिसम्बर। विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर आगामी १० जनवरी को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आहूत समारोह में, हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में मूल्यवान सेवा देने वाले बीस मनीष... Read more
पटना, ६ जनवरी। भारत ने मौरिशस के उत्थान में पिछले अनेक वर्षों से लगातार बड़ी सहायता की है। इसलिए मौरिशस भारत का आभारी है। हमारे पूर्वज लगभग १९० वर्ष पूर्व भारत से मज़दूर के रूप में मौरिशस गए... Read more
पटना, ५ जनवरी। “अंधेरी निशा में नदी के किनारे, धधक कर किसी की चिता जल रही है” — “कपोलों पर सिसक कर सो गए हैं नयन के काजल/ आए तुम मगर परदेस से फिर आ गए बादल”... Read more
पटना, २ जनवरी। खड़ी बोली हिन्दी के उन्नयन में महान योगदान देने वाली प्रथम पीढ़ी के सर्वाधिक आदरणीय साहित्यकारों में परिगणित होते हैं पं सकल नारायण शर्मा। उनकी विद्वता और हिन्दी-सेवा से उनकी... Read more
पटना, २ जनवरी। खड़ी बोली हिन्दी के उन्नयन में महान योगदान देने वाली प्रथम पीढ़ी के सर्वाधिक आदरणीय साहित्यकारों में परिगणित होते हैं पं सकल नारायण शर्मा। उनकी विद्वता और हिन्दी-सेवा से उनकी... Read more
पटना, १ जनवरी। नववर्ष के प्रथम दिन बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ बुधवार की संध्या बिहार के नवनियुक्त राज्यपाल डा आरिफ़ मोहम्मद खान से भेंट की तथा उन्हें नववर्ष की शुभक... Read more
पटना ब्यूरो , ३० दिसम्बर। अपने समय के महान साहित्यकार और आयुर्वेदाचार्य पं चंद्रशेखरधर मिश्र खड़ी-बोली हिन्दी के प्राण-प्रतिष्ठापकों में से एक थे। वे बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पाँचवे स... Read more
पटना, २७ दिसम्बर। अंगिका भाषा और साहित्य के उद्धारकों में महाकवि परमानंद पाण्डेय का स्थान श्रेष्ठतम है। अंगप्रदेश की इस बोली को पाण्डेय जी ने भाषा का रूप प्रदान किया। इन्हें अंगिका का दधीचि... Read more