रिपोर्ट – कौशलेन्द्र पाण्डेय, नई दिल्ली:भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव उस चरम पर पहुँच गया था, जब पाकिस्तान ने परमाणु हमले की संभावनाओं पर विचार करना शुरू कर दिया। लेकिन इससे पहले कि कोई खतरनाक कदम उठाया जाता, भारतीय वायुसेना की ऐतिहासिक कार्रवाई ने पाकिस्तान की सैन्य शक्ति की रीढ़ तोड़ दी।
भारतीय वायुसेना का पराक्रम
सूत्रों के अनुसार, भारतीय वायुसेना ने अत्यंत गोपनीयता और सटीक रणनीति के साथ पाकिस्तान के 9 प्रमुख वायुसेना अड्डों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया और उन्हें बुरी तरह तबाह कर दिया। इन हमलों से पाकिस्तान की वायु सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई और उसकी सैन्य क्षमता को गहरा आघात पहुँचा।
भारतीय वायुसेना की इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को मानसिक, सैन्य और रणनीतिक रूप से झकझोर कर रख दिया। इसी के बाद पाकिस्तान की सैन्य परिषद ने परमाणु विकल्प पर चर्चा शुरू की।
क्या पाकिस्तान के पास कोई और विकल्प नहीं था?
आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक पतन और अब भारतीय जवाबी कार्रवाई से परेशान पाकिस्तान के पास सैन्य प्रतिक्रिया का कोई ठोस विकल्प नहीं बचा था। ऐसे में परमाणु हथियारों का विचार उनकी हताशा को दर्शाता है। मगर अमेरिका और अन्य वैश्विक शक्तियों की सख्त चेतावनी ने पाकिस्तान को अंतिम समय पर पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
अमेरिका ने निभाई निर्णायक भूमिका
वाशिंगटन से मिले इनपुट्स के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन ने इस्लामाबाद को स्पष्ट शब्दों में आगाह किया कि परमाणु हमले का अर्थ होगा वैश्विक स्तर पर अलगाव और सामूहिक विनाश। अमेरिका की इस कूटनीति ने आग को शांत करने में बड़ी भूमिका निभाई।
भारत सतर्क और तैयार
भारत ने अपनी सेनाओं को हाई अलर्ट पर रखा और सभी संभावित चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा तैयारियों को और मज़बूत किया। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत शांति का पक्षधर है, पर राष्ट्र की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
निष्कर्ष:
यह पूरी घटना न केवल भारतीय वायुसेना के पराक्रम का प्रमाण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि विश्व कूटनीति, दबाव और रणनीति से किस तरह एक संभावित परमाणु युद्ध को टाला जा सकता है। पाकिस्तान को अब यह सोचने की ज़रूरत है कि सैन्य दुस्साहस के बजाय स्थायी शांति और स्थिरता ही उसका एकमात्र रास्ता है।