पटना, १८ सितम्बर। निर्माण-तकनीक के अधिष्ठाता देव हैं भगवान विश्वकर्मा। इन्हें निर्माण और अभियंत्रण के साथ कल-कारख़ानों का भविष्य नियंता भी माना जाता है। इसीलिए तकनीक से जुड़े छोटे-बड़े सभी प्रतिष्ठानों में श्रद्धापूर्वक इनकी पूजा होती है। यह उत्सव अपने कार्यों के प्रति श्रद्धा-भाव रखने की शिक्षा भी देता है। श्रद्धा से किए गए कार्य अवश्य सफल होते हैं।यह बातें बुधवार को, बेउर स्थित इण्डियन इंस्टिच्युट ऑफ़ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च में, भगवान विश्वकर्मा की विदाई आरती के पश्चात विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि पूजा के उत्सव केवल मिठाई खाने और नाचने-गाने के लिए नहीं होते अपने संस्कारों को समझने और आस्था को दृढ़ करने के लिए होते हैं। जीवन में आस्था और श्रद्धा-भाव के महत्त्व को समझने के लिए होते हैं। हमारे प्राच्य-साहित्य में बार-बार कहा गया है कि -“श्रद्धावान लभते ज्ञानं”। श्रद्धावान लोग ही ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हैं।संस्थान में विश्वकर्मा पूजा का आयोजन रेडियोलॉजी विभाग में किया गया था, जिसमें मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, फ़िज़ियोथेरेपी, ऑडियोलॉजी ऐंड स्पीच पैथोलॉजी तथा ऑफ़थालमोलॉजी विभाग के शिक्षक एवं विद्यार्थियों की भी भागीदारी हुई। विदाई आरती में पंडित संपूर्णानंद, प्रो संतोष कुमार सिंह, प्रो मधुबाला कुमारी, प्रो देवराज समेत बड़ी संख्या में संस्थान के शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। मूर्ति का विसर्जन दीघा घाट में किया गया।